10-Nov-2023 07:24 PM
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नयी दिल्ली, 10 अक्टूबर (संवाददाता) महशूर शायर अल्लामा इकबाल की जयंती पर मनाये जाने वाले विश्व उर्दू दिवस पर राजधानी में आयोजित एक कार्यक्रम में विद्वानों ने उर्दू भाषा की स्थिति में आ रही गिरावट पर चिंता व्यक्त करते हुए इसकी तरक्की के लिये व्यावहारिक कदम उठाये जाने पर बल दिया।
मशहूर शायर अल्लामा इकबाल की जयंती पर नौ नवंबर हर वर्ष मनाये जाने वाले विश्व उर्दू दिवस पर यहां गालिब अकादमी में आयोजित कार्यक्रम में साहित्य और पत्रकारिता क्षेत्र के नामचीन लोगों ने भारतीय महाद्वीप में अदब और तहजीब की इस दमदार भाषा की स्थिति पर चर्चा और इसकी तरक्की को लेकर व्यावहारिक कदम उठाये जाने पर बल दिया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता इकबालवादी प्रोफेसर अब्दुल हक ने की। इस मौके पर वक्ताओं ने उर्दू के प्रचार-प्रसार के लिए मौखिक बातों के बजाय व्यावहारिक उपायों पर जोर दिया और उर्दू पर गर्व करने वालों को आत्मनिरीक्षण की सलाह भी दी।
इस अवसर पर उर्दू विकास संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ सैयद अहमद खान ने कहा कि संगठन के बैनर तले और लोगों के प्रति पिछले 26 वर्षों से उर्दू दिवस का आयोजन किया जा रहा है। परिणाम भी सामने आ रहे हैं, यह स्वागत योग्य बात है, लेकिन साथ ही उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि सरकारी स्तर पर उर्दू की स्थिति दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है। उन्होंने उम्मीद जताई कि राज्य और केंद्र सरकार लोगों की भावनाओं का सम्मान करते हुए उर्दू को बढ़ावा देने के लिए जरूरी कदम उठाये जायेंगे।
कार्यक्रम को संबोधित करने वालों में तस्मिया एजुकेशनल के निदेशक डॉ. सैयद फारूक, एम. अफजल, प्रो. अख्तर अल वासे, प्रो. खालिद महमूद, प्रो. शहपर रसूल, पत्रकार मासूम मुरादाबादी, पत्रकार सोहेल अंजुम, वरिष्ठ पत्रकार गौतम लाहिड़ी और पत्रकार रशीद अहमद किदवई शामिल थे।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रोफेसर अख्तर-उल-वासे ने कहा कि भाषाओं का कोई धर्म नहीं होता है, हालांकि, किसी भी भाषा को धर्म से नहीं जोड़ा जाना चाहिये। हमें उर्दू साहित्य और साहित्य के प्रचार और प्रसार के लिए आगे आना चाहिये, क्योंकि उर्दू सिर्फ
उर्दू नहीं है। यह सभ्यता का नाम है। उन्होंने कहा कि अक्सर देखा जाता है कि हम उर्दू
की दुर्दशा के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराते हैं जबकि हमें खुद को जवाबदेह बनाना चाहिए कि हम उर्दू के प्रचार-प्रसार के लिये कितना कुछ कर रहे हैं।
कांग्रेस नेता एवं वरिष्ठ पत्रकार एम अफजल ने कहा कि उर्दू सिर्फ मुसलमानों की ही नहीं बल्कि हिंदुस्तान की भी भाषा है। उन्होंने कहा, “ मैं डॉ. सैयद अहमद खान को बधाई देता हूं जो हर साल अल्लामा इकबाल की जयंती पर विश्व उर्दू दिवस मनाते हैं और पूरे साल उर्दू भाषा की सेवा के लिए समर्पित रहते हैं।”
प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के अध्यक्ष गौतम लाहिड़ी ने उर्दू भाषा की सराहना करते हुए कहा कि इसमें जो मिठास है, वह किसी अन्य भाषा में नहीं है, यह भाषा प्रेम की भाषा है, जो सभी धर्मों को जोड़ती है।
इस अवसर पर शमीम तारिक (मुंबई) को आलम उर्दू दिवस द्वारा लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार दिया गया, प्रोफेसर तौकीर अहमद खान (नयी दिल्ली) को उर्दू में उनके योगदान के लिए अल्लामा इकबाल विश्व उर्दू दिवस पुरस्कार दिया गया। साहित्य, सैयद मुजाहिद हुसैन (दिल्ली) मौलाना पत्रकारिता के लिये उस्मान फार्कलीट विश्व उर्दू दिवस पुरस्कार, फहीम अहमद (नयी दिल्ली) को पत्रकारिता के लिये महफुजुर रहमान विश्व उर्दू दिवस पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर, गणमान्य व्यक्तियों द्वारा मौलाना मुहम्मद बाकर हुसैन के जीवन और सेवाओं पर आधारित एक स्मारक पत्रिका का विमोचन किया गया। कार्यक्रम के आयोजक डॉ सैयद अहमद खान ने आभार व्यक्त किया।...////...