रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले छह महीनों (फरवरी-जुलाई) से महंगाई आरबीआई के 4 प्रतिशत के लक्ष्य से नीचे बनी हुई है. अच्छे कृषि उत्पादन से खाद्य मुद्रास्फीति के कम रहने की उम्मीद है.
भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वित्त वर्ष 26 में 6.5 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है. साथ ही इस दौरान भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) रेपो रेट में भी कटौती कर सकता है. यह जानकारी क्रिसिल की रिपोर्ट में दी गई. रिपोर्ट में कहा गया कि अमेरिका द्वारा भारत पर वर्तमान में लगाया गया 50 प्रतिशत टैरिफ निर्यात और जीडीपी वृद्धि पर दबाव डालेगा. हालांकि, ब्याज दरों में कटौती, अच्छी बारिश, कम मुद्रास्फीति और कर राहत से उपभोग को बढ़ावा मिलेगा.
रिपोर्ट के मुताबिक, वैश्विक उथल-पुथल को देखते हुए पूंजी प्रवाह में अस्थिरता हो सकती है, जिससे अल्पावधि में रुपया दबाव में रह सकता है.क्रिसिल ने उम्मीद जताई कि आरबीआई मौद्रिक नीति कमेटी (एमपीसी) चालू वित्त वर्ष में एक बार फिर ब्याज दरों में कटौती कर सकती है.
ज्यादा बारिश के कारण कुछ फसलों की पैदावार पर दबाव पड़ सकता है. कमोडिटी की कम कीमतों का मतलब गैर-खाद्य मुद्रास्फीति में नरमी होगी. कम जीएसटी दरों के कारण भी इस वित्त वर्ष में मुद्रास्फीति में गिरावट आने की संभावना है.
अगस्त में बैंक ऋण वृद्धि दर बढ़कर 10 प्रतिशत हो गई, जो जुलाई में 9.8 प्रतिशत थी तथा जून में समाप्त तिमाही में औसतन 9.6 प्रतिशत थी.