28-Aug-2023 08:11 PM
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नयी दिल्ली, 28 अगस्त (संवाददाता) आम आदमी पार्टी (आप) ने कहा कि अडानी ने गुजरात के लोगों को महंगी बिजली देकर 3800 करोड़ रुपए की लूट की है फिर भी मोदी सरकार और प्रवर्तन निदेशालय-केन्द्रीय जांच ब्यूरो (ईडी-सीबीआई) चुप्पी साधे हुए है।
आप के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने सोमवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि यह मुद्दा गुजरात की जनता के साथ भ्रष्टाचार और लूट से जुड़ा है। गुजरात की जनता की जेब काटने का यह काम प्रधानमंत्री नरेंद्र मादी के सबसे करीबी दोस्त अडानी और उनकी कंपनी ने किया है। उन्होंने कहा कि श्री मोदी जब 2007 में गुजरात के मुख्यमंत्री थे, उस वक्त उनकी सरकार ने आडनी से बिजली को लेकर एक समझौता किया। समझौते के अनुसार अडानी ने अगले 25 साल तक गुजरात की जनता को 2.25 रुपए प्रति यूनिट बिजली देने का वादा किया, लेकिन 2007 में गुजरात सरकार और अडानी के बीच पावर परचेज एग्रीमेंट किया गया। इसके बाद अडानी अचानक अपने वादे और एग्रीमेंट से पलट गए। वर्ष 2018 में अडानी ने गुजरात सरकार के साथ एक और एग्रीमेंट साइन किया। उसमें कहा गया कि कोयला महंगे दामों में खरीदना पड़ रहा है इसलिए सरकार को बिजली के दाम महंगे देने पड़ेंगे, लेकिन एग्रीमेंट में यह शर्त लिखी गई कि आर्गस ग्लोबल कंपनी द्वारा दुनिया भर के देशों में कोयले का जो दाम बताया जाएगा, उसके अनुसार ही भुगतान किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि 2018 से 2023 तक अडानी ने कोयले का दाम जितना बताया है, गुजरात सरकार उतनी पेमेंट करती रही। गुजरात सरकार ने इस दौरान अडानी की कंपनी को 13802 करोड़ रुपए का भुगतान किया। हैरानी की बात है कि गुजरात मॉडल की बात करने वाली गुजरात सरकार ने आर्गस ग्लोबल कंपनी के रेट से सत्यापन नहीं किया कि उस वक्त इंडोनेशिया में कोयले का क्या रेट था? एक सवाल यह भी उठा रहा है कि जब भारत में जरूरत से अधिक कोयले का उत्पादन किया जाता है तो अडानी को विदेश से कोयला खरीदने की जरूरत क्यों पड़ी?
आप नेता ने कहा कि इसी वक्त हिंडनबर्ग की रिपोर्ट भी आई। इसमें अडानी के भ्रष्टाचार के बारे में बताया गया था। जब मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, तब गुजरात सरकार के अफसर घबरा गए। अफसरों को लगा कि अडानी के साथ उनको भी जेल जाना पडेगा। इसके बाद गुजरात सरकार कुम्भकर्ण की नींद से जागी और 15 मई को एक चिट्टी लिखी। इस चिट्टी में गुजरात सरकार ने कहा कि अडानी ने जहां-जहां से जितने दाम में कोयला खरीदा, उसका कोई प्रमाण, कागजात या बिल नहीं दिए। चिट्टी में लिखा है कि अडानी ने जिस वक्त इंडोनेशिया में महंगा कोयला बताया, उस वक्त कोयले का दाम सस्ता था। श्री सिंह ने कहा कि इसका मतलब साफ है कि धोखाधड़ी करके अडानी की कंपनी ने गुजरात सरकार से 3802 करोड़ रुपए का भुगतान लिया। गुजरात सरकार ने अडानी से यह पैसा वापस करने को कहा है।
उन्होंने कहा कि ईडी-सीबीआई, इनकम टैक्स विभाग और सरकार की अन्य जांच एजेंसियां कहां सो रही हैं? जांच एजेंसियां छोटी-छोटी बात पर बंगाल, उड़ीसा, तेलंगाना, तमिलनाडु पहुंच जाती हैं और दिल्ली में रोज छापेमारी कर रही हैं। जांच एजेंसियों को हिंडनबर्ग में आया अडानी का भ्रष्टाचार दिखाई नहीं दे रहा है।
वहीं, आप की वरिष्ठ नेता रीना गुप्ता ने कहा कि प्रधानमंत्री ने अडानी को पूरे देश में लूट करने की खुली छूट दे रखी है। उन्होंने 2017 की सीएजी की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि अडानी जैसा गुजरात में कर रहे हैं, वैसा ही 2017 में तमिलनाडु में भी किया। सीएजी ने अडानी के 297 इम्पोर्ट चेक किए, उसमें से 177 इम्पोर्ट में कोयला किस देश से मंगाया गया है, उसका सर्टिफिकेट नहीं लगाया गया है। ऐसा भी हो सकता है कि अडानी की दूसरे राज्यों में जो कोयले की खदानें हैं, वहीं का कोयला तमिलनाडु में भेज दिया गया हो और कहा गया कि विदेश से कोयला खरीद कर ला रहे हैं। क्योंकि इसका कोई बिल या सर्टिफिकेट नहीं है।...////...