बेंगलुरु में होने वाली विपक्ष की बैठक की सफलता कांग्रेस के त्याग पर निर्भर
17-Jul-2023 04:14 PM 2900
बेंगलुरु 17 जुलाई (संवाददाता) सभी राजनीतिक पार्टियां अभी से ही 2024 में होने वाली लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटी हैं और इसी कड़ी में विपक्ष दलों ने महागठबंधन बनाने की तैयारी शुरू कर दी। इसको लेकर कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में विपक्षी दलों की दो दिवसीय बैठक होने वाली है। विपक्षी दलों के सामने एक महागठबंधन बनाने में सबसे बड़ी बाधा यह है कि सोनिया गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस पार्टी उनकी कितनी बात मानती है। क्या सबसे पुरानी पार्टी अन्य दलों को अधिक सीटें देने को तैयार होगी और विपक्षी दलों को एकजुट करने के लिए खुद कम सीटें लेगी? अगर ऐसा होता है, तो क्षेत्रीय क्षत्रप चुपचाप कांग्रेस पार्टी की रियायत ले लेंगे क्योंकि इससे उनके राज्यों में उनके राजनीतिक अस्तित्व पर असर पड़ेगा। इसलिए लोकसभा चुनाव से पहले विपक्ष की एकता इस बात पर निर्भर करती है कि कांग्रेस पार्टी इन चुनौतियों से कैसे निपटती है। कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चुनौती उन राज्यों में है जहां क्षेत्रीय दलों की मौजूदगी काफी मजबूत है। वहीं आंध्र प्रदेश में श्री जगन मोहन रेड्डी की पार्टी वाईएसआरसीपी और श्री चंद्रबाबू नायडू की तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंध (राजग) के खेमे में आने की होड़ में हैं। तेलंगाना में भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के करीब आने की खबरें मीडिया में आ रही हैं। केरल में कांग्रेस और पिनाराई विजयन की मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की दुश्मनी पुरानी है, लेकिन पश्चिम बंगाल में दोनों पार्टियां मिलकर ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस पार्टी से लड़ रही हैं। पंजाब और दिल्ली में कांग्रेस दिल्ली अध्यादेश के मुद्दे पर अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (आप) के प्रति शत्रुतापूर्ण रही है, हालांकि केंद्र सरकार द्वारा केंद्र शासित प्रदेश में नौकरशाहों को नियुक्त करने की शक्ति खुद के पास रखने वाले अध्यादेश पर कांग्रेस ने आप को समर्थन देने का फैसला लिया है, लेकिन इसमें पार्टी ने इसमें काफी देर कर दी है। इस मुद्दे पर स्पष्ट तस्वीर बेंगलुरु में महागठबंधन की बैठक के दौरान या उसके बाद ही सामने आएगी। देश में सबसे अधिक जनसंख्या वाले राज्य उत्तर प्रदेश में विपक्षी एकता एक भ्रम है, जहां समाजवादी पार्टी ने पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से अपना नाता तोड़ लिया था। दूसरी ओर, उन राज्यों में विपक्षी एकता सकारात्मक दिखती है, जहां कांग्रेस प्रमुख खिलाड़ी नहीं है। सबसे पुरानी पार्टी महाराष्ट्र, तमिलनाडु और बिहार में जीत हासिल कर सकती है। कुछ राज्यों में यह भाजपा के खिलाफ अकेली दावेदार है और इन राज्यों - राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्य है, जहां नवंबर में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषक बेंगलुरु में महागठबंधन की बैठक में भाग लेने वाले शीर्ष विपक्षी नेताओं की उपस्थिति और अनुपस्थिति पर बारीकी से नजर रखेंगे तथा आने वाले दिनों में उसी के अनुसार अपनी राजनीतिक टिप्पणी करेंगे।...////...
© 2025 - All Rights Reserved - Youth18 | Hosted by SysNano Infotech | Version Yellow Loop 24.12.01 | Structured Data Test | ^