12-Jul-2023 07:48 PM
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चेन्नई, 12 जुलाई (संवाददाता) तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रविड मुनेत्र कषगम (द्रमुक) ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) बनाने के प्रस्ताव पर बुधवार को कड़ी आपत्ति जताई।
द्रमुक महासचिव दुरईमुरुगन ने भारत के 22वें विधि आयोग को लिखे पत्र में कहा कि देश की सुंदरता हमेशा इसकी विविधता में रही है। उन्होंने कहा, “हमारा संविधान मानता है कि भारत संस्कृतियों, भाषाओं, धर्मों और रीति-रिवाजों का मिश्रण है। वस्तुतः राज्यों का मूल विभाजन भाषाई विविधता के आधार पर ही हुआ था।”
उन्होंने कहा कि विविधता में हमारी एकता दुनिया के लिए एक उदाहरण है और इसे संजोया और पोषित किया जाना चाहिए, न कि एकरूपता की झूठी बलि की वेदी पर चढाया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, “द्रमुक संघ द्वारा किसी भी समान नागरिक संहिता को लागू करने के प्रस्ताव पर अपनी कड़ी आपत्ति दर्ज कराती है और विधि आयोग से 31 अगस्त, 2018 के परामर्श पत्र में 21वें विधि आयोग द्वारा व्यक्त किए गए विचारों को तुरंत स्वीकार करने का अनुरोध करती है। केंद्र सरकार को समान नागरिक संहिता लागू न करने और बाध्य करने की सिफारिश करना चाहिए।”
श्री दुराईमुरगन ने कहा कि तमिलनाडु की 2011 की जनगणना के अनुसार सात करोड़ 21 लाख 47 हजार तीन जनसंख्या है, जिसमें से हिन्दू 87 फीसदी, मुस्लिम छह फीसदी और ईसाई सात फीसदी है। उन्होंने कहा कि राज्य सभी धर्मों के शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के लिए स्वर्ग माना जाता है। हमारे राज्य में सांप्रदायिक हिंसा लगभग न के बराबर है।
श्री दुरईमुरुगन ने कहा कि राजनीतिक लाभ के लिए समान नागरिक संहिता जैसे विभाजनकारी कानून की शुरूआत तमिलनाडु में धार्मिक समूहों के बीच शांति और सद्भाव को बिगाड़ देगी और इसलिए यह कानून जनता के हित के लिए सही नहीं है। उन्होंने कहा, “जातीय या धार्मिक समूहों के बीच संघर्ष से मणिपुर की तरह लोग भयानक हिंसा के शिकार हाेते रहेंगे। जिसे केंद्र और राज्य सरकार आज तक नियंत्रित करने में पूरी तरह से असमर्थ रही है।...////...