21-Oct-2023 08:38 PM
5639
श्रीहरिकोटा, 21 अक्टूबर (संवाददाता) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने हल्की विसंगति के बाद शनिवार को श्रीहरिकोटा से गगनयान मिशन के लिए छोटी अवधि का मिशन सफलतापुर्वक पूरा किया जिसके प्रक्षेपण की अवधि 531 सेकंड थी।
विसंगति की पहचान करने के बाद इसरो के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने कहा कि टीवी-डी 1 रॉकेट ने श्रीहरिकोटा के लॉन्च पैड से सुबह 10 बजे उड़ान भरी और पूरा मिशन लगभग नौ मिनट में पूरा हुआ। उन्होंने कहा कि यह गगनयान मिशन के लिए एक बड़ा प्रशिक्षण था।
परीक्षण रॉकेट के उड़ान भरने से लेकर पैराशूट की तैनाती के साथ समुद्र में क्रू मॉड्यूल के उतरने तक, पूरी उड़ान प्रक्रिया में लगभग नौ मिनट लगे।
इस उड़ान परीक्षण ने पूरे गगनयान कार्यक्रम में एक प्रमुख मील का पत्थर चिह्नित किया जो कि अंतरिक्ष में भारत का पहला मानव युक्त मिशन होगा और इसका उद्देश्य नए विकसित परीक्षण वाहन के साथ मैक नंबर 1.2 पर क्रू मॉड्यूल पृथक्करण और पुनर्प्राप्ति के बाद क्रू एस्केप सिस्टम (सीईएस) के इन-फ्लाइट एबॉर्ट डेमस्ट्रेटन को परिभाषित करना है।
इसरो ने कहा कि मिशन का उद्देश्य उड़ान प्रदर्शन एवं परीक्षण वाहन उप प्रणालियों का मूल्यांकन, क्रू एस्केप सिस्टम और क्रू मॉड्यूल विशेषताएं और उच्च ऊंचाई पर अवत्वरण प्रणाली का प्रदर्शन और इसकी पुनर्प्राप्ति है।
लगभग 44 टन वजनी और 35 मीटर लंबे लिक्विड प्रोपेल्ड सिंगल स्टेज टेस्ट व्हीकल में 4,520 किलोग्राम के क्रू मॉड्यूल (सीएम) के साथ एक संशोधित विकास इंजन का उपयोग किया गया।
इसरो ने कहा कि योजना के अनुसार, श्रीहरिकोटा से लगभग 10 किलोमीटर दूर समुद्र में उड़ान भरने से लेकर चालक दल के मॉड्यूल के उतरने तक पैराशूट की तैनाती के साथ पूरे उड़ान क्रम में 531 सेकंड का समय लगा।
उड़ान भरने के लगभग 60 सेकंड बाद, परीक्षण वाहन- क्रू एस्केप सिस्टम 11.7 किमी की ऊंचाई पर अलग हो गया और 30 सेकंड बाद, सीएम-सीईएस भी 16.7 किमी की ऊंचाई पर अलग हो गया।
इसके बाद, सीईएस को अलग करने और पैराशूट की श्रृंखला की तैनाती के साथ स्वायत्त रूप से समापन अनुक्रम निष्पादित किया गया, अंत में 8.5 मीटर/ सेकंड के वेग से श्रीहरिकोटा के तट से लगभग 10 किमी दूर समुद्र में सीएम के सुरक्षित लैंडिंग के साथ इसका समापन हुआ।
इसरो ने कहा कि टीवी-डी 1 परीक्षण उड़ान ने सीईएस के प्रदर्शन को दर्शाया है और यह समग्र गगनयान कार्यक्रम के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है क्योंकि उड़ान परीक्षण के लिए लगभग पूर्ण प्रणाली एकीकृत की गई थी।
इसरो के अध्यक्ष ने कहा कि पहले मानवरहित परीक्षण मिशन टीवी-डी 1 के बाद तीन और परीक्षण उड़ानें टीवी-डी 2, टीवी-डी 3 और टीवी-डी 4 होंगी।
परीक्षण का उद्देश्य 'क्रू मॉड्यूल' या वाहन के उस हिस्से का परीक्षण करना था जहां भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को रखा जाएगा। परीक्षण में मॉड्यूल को बाहरी अंतरिक्ष में प्रक्षेपित करना, इसे पृथ्वी पर वापस लाना और बंगाल की खाड़ी में उतरने के बाद इसे पुनर्प्राप्त करना शामिल था। टीवी-डी 1 ने मानवयुक्त मिशनों में इन-फ्लाइट सिस्टम का प्रदर्शन किया।
इसरो ने कहा कि हमने परीक्षण किया है और यह सुनिश्चित किया है कि एस्केप सिस्टम बहुत ज्यादा विश्वसनीय है, एस्केप सिस्टम ट्रांसोनिक स्थितियों में सक्रिय होगा, जो मैक 1.2 है और यह दर्शाता है कि चालक दल को कैसे बचाया जाएगा।
अगर अंतरिक्ष में जाते समय अंतरिक्ष यान को किसी समस्या का सामना करना पड़ता है, तो इस एस्केप सिस्टम से चालक दल को अलग करने और सुरक्षित समुद्र में वापस लाने की उम्मीद है, जहां से उन्हें नौसेना कर्मियों द्वारा सुरक्षित किया जाएगा।
गगनयान मिशन के अगले वर्ष की दूसरी तिमाही में पूरा होने की उम्मीद है जिसकी पुष्टि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कुछ दिन पहले नयी दिल्ली में अंतरिक्ष विभाग के अधिकारियों के साथ मिशन की प्रगति की समीक्षा के बाद की थी।...////...