घरेलू अर्थव्यवस्था पर मुद्रास्फीति का दबाव बढ़ा, मांग की नरमी से औद्योगिक वृद्धि पर असर
12-Apr-2022 10:29 PM 8973
नयी दिल्ली, 12 अप्रैल (AGENCY) भू-राजनैतिक संकट से वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला की अड़चनें बढ़ने के बीच निवेशकों की चिंता बढ़ाते हुए मंगलवार को भारत में जारी त्वरित आंकड़ों के अनुसार खुदरा मुद्रास्फीति मार्च 2022 में उछलकर 6.95 पर पहुंच गयी, जबकि ताजा आंकड़ों में भारतीय अर्थव्यवस्था में उपभोक्ता मांग की नर्मी बरकरार रहने के संकेत हैं। आज ही जारी औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) आधारित औद्योगिक वृद्धि के आंकड़ों के अनुसार फरवरी में औद्योगिक वृद्धि बाजार को निराश करते हुए 1.7 प्रतिशत दर्ज की गयी। बाजार ने इसके 03 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था। आंकड़ों के अनुसार फरवरी में गैर टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं के उत्पादन में तीव्र गिरावट से कुल औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर प्रभावित हुयी। खाद्य वस्तुओं के महंगा होने के साथ खुदरा मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति मार्च 2022 में बढ़कर 6.95 प्रतिशत पर पहुंच गयी। सरकारी आंकड़ों के अनुसार मार्च में खाद्य मुद्रास्फीति उछलकर 7.68 प्रतिशत हो गयी। इससे पहले फरवरी 2022 में मुद्रास्फीति 6.07 प्रतिशत और खाद्य मुद्रास्फीति 5.85 प्रतिशत थी। खुदरा मुद्रास्फीति का दबाव बढ़ने और इसके लगातार तीन महीने से रिजर्व बैंक की लक्षित छह प्रतिशत की सीमा से ऊपर होने से निवेशकों की चिंता बढ़ सकती है। मुद्रास्फीति का दबाव बढ़ने से रिर्जव बैंक के लिए कर्ज सस्ता रखने की नीति को बनाए रखना अधिक चुनौतिपूर्ण हो गया है। खुदरा मूल्य सूचकांक में शामिल वस्तुओं में खाद्य वस्तुओं की कीमतों का भारांक करीब-करीब आधा है। यूक्रेन-रूस युद्ध के कारण वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित होने से अनाज और खाद्य तेल के दाम बढ़ गए हैं तथा अन्य जिंसों, रसायनिक खाद और कच्चे तेल के दामों में उछाल से भी खाद्य कीमतें प्रभावित हो रही हैं। यूक्रेन गेहूँ और सूरजमुखी जैसे कृषि उत्पादों का बड़ा निर्यातक है। दक्षिण पूर्वी एशिया से आनेवाले पाम ऑयल की कीमतें इस वर्ष 50 प्रतिशत तक बढ़ चुकी हैं। भारत खनिज तेलों के अलावा खाद्य तेल के लिए भी आयात बहुत अधिक निर्भर है। नाइटफ्रैंक इंडिया के निदेशक अनुसंधान विवेक राठी ने कहा कि मुद्रास्फीति का दबाव खाद्य और ईंधन दोनों की महंगाई के कारण है। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति का दबाव बने रहने से मजदूरी की लागत भी बढ़ने के आसार हैं। औद्योगिक उत्पादन सूचकांक(आईआईपी) के त्वरित अनुमानों के अनुसार खनन और बिजली क्षेत्र के अच्छे प्रदर्शन से फरवरी 2022 में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर 1.7 प्रतिशत रही जबकि पिछले वर्ष इसी माह में 3.2 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गयी थी। सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय द्वारा जारी आईआईपी के आंकड़ों के अनुसार चालू वित्त वर्ष के 11 महीने (अप्रैल-फरवरी 2021-22) के दौरान वृद्धि दर 12.5 प्रतिशत रही है जबकि वर्ष 2020-21 की इसी अवधि में उत्पादन में 11.1 प्रतिशत संकुचन हुआ था। फरवरी 2022 में खनन क्षेत्र का उत्पादन सलाना आधार पर 4.5 प्रतिशत बढ़ा जबकि पिछले साल फरवरी में इसमें 4.4 प्रतिशत की गिरावट आयी थी। विनिर्माण क्षेत्र में फरवरी 2022 में उत्पादन वृद्धि 0.8 प्रतिशत रही। जबकि पिछले साल फरवरी में विनिर्माण उद्योगों का उत्पादन 3.4 प्रतिशत घटा था। इस बार फरवरी में विद्युत उत्पादन 4.5 प्रतिशत बढ़ा जबकि पिछले साल की समान अवधि में विद्युत उत्पादन 0.1 प्रतिशत बढ़ा था। जनवरी 2022 में आईआईपी के आधार पर औद्योगिक वृद्धि दर 1.5 प्रतिशत और दिसंबर 2021 में 0.7 प्रतिशत थी। मोतीलाल ओसवाल फाइंनेंशियल सर्विसेज के मुख्य अर्थशास्त्री निखिल गुप्ता ने कहा कि फरवरी 2022 में औद्योगिक वृद्धि दर बाजार के अनुमान से कम है। बाजार ने इसका तीन प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था। अनुमान की तुलना में कम वृद्धि दर का कारण मुख्य रूप से गैर टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं के उत्पादन में तीव्र गिरावट है जो अर्थव्यवस्था में उपभोक्ता की मांग में कमजोरी दर्शाती है। फरवरी 2022 में गैर टिकाऊ उपभोक्त वस्तुओं के उत्पादन में 5.5 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गयी है। इसी तरह पूंजीगत वस्तुओं के उत्पादन में भी वृद्धि दर बाजार के 1.5 प्रतिशत के अनुमान की तुलना में 1.1 प्रतिशत रही। मिलवुड केन इंटरनेशनल मुख्य कार्यकारी अधिकारी निश भट्ट ने कहा कि जनवरी की तुलना में फरवरी के औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर में मामूली सुधार है।...////...
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