हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले मेजर ध्यानचंद के गुरु सुबेदार मेजर बाले तिवारी की उपेक्षा क्यों
28-Aug-2021 08:23 PM 1535
नयी दिल्ली, 28 अगस्त (AGENCY) हाल ही में देश का सर्वोच्च खेल पुरस्कार जिसे अब तक राजीव गांधी खेल रत्न के नाम से जाना जाता था। खेल के क्षेत्र में दिए जाने वाले उस पुरस्कार के नाम को बदलकर प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी ने हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले मेजर ध्यानचंद के नाम किया, यह कार्य वर्षों पहले हो जाना चाहिए था लेकिन गांधीवादी सोच रखने वाली तत्कालीन सरकारों ने अनदेखी की। इन्हीं कारणों से खेल जगत उपेक्षित और हाशिए पर रहा। यह समाज में निंदनीय है। मोदी जी ने खेल की भावनात्मक दृष्टि को देखते हुए सराहनीय कदम उठाया। खेल पुरस्कार ध्यानचंद के नाम से किया। लेकिन ध्यानचंद अपने गुरु बाले तिवारी के साहसिक योगदान के कारण ही साहसिक खिलाड़ी बने। उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। गुरु के नाम को जीवंत रखने के लिए वर्तमान सरकारों को कुछ ठोस कदम उठाने की जरूरत है। क्योंकि भारत वह देश है जहां आदिकाल से गुरु शिष्य परंपरा रही है। गुरुओं का सम्मान होता रहा है और धर्मशास्त्रों में गुरु को ईश्वर से ऊपर माना गया है। फिर जब भगवान ने धरती पर अवतार लिया तब उन्हें, उनके गुरु ने ही मार्गदर्शन दिया और जीवन का उद्देश्य पूर्ण करने में उनकी नदद की। हम सबके प्रिय और आराध्य मर्यादापुरुषोत्तम भगवान राम ने अपने गुरु महर्षि विश्वामित्र के प्रिय शिष्य रहे। उनके द्वारा दिखाए हुए रास्ते पर चलते हुए उन्होंने संपूर्ण विश्व में अपने देश, गुरु और कुल का नाम रोशन किया है।...////...
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