09-Sep-2023 07:37 PM
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श्रीनगर, 09 सितंबर (संवाददाता) जम्मू कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय ने केंद्र शासित प्रदेश के विद्यालयों के लिए पाठ्यपुस्तकें निर्धारित करने की जम्मू कश्मीर बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन के पक्ष में फैसला सुनाया है।
न्यायमूर्ति संजय धर ने जेके प्राइवेट स्कूल यूनाइटेड फ्रंट की ओर से दायर याचिका को खारिज करते हुए कहा कि यह जम्मू कश्मीर स्कूल बोर्ड का अधिकार है कि वह संबद्ध स्कूलों के लिए केवल उन्हीं पुस्तकों का उपयोग करना अनिवार्य बनाए, जो उनके द्वारा निर्धारित और प्रकाशित की गई हैं।
न्यायालय ने कहा कि निजी स्कूलों और अन्य प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित पाठ्य पुस्तकों को निर्धारित करने के लिए बोर्ड को बाध्य करने का कोई अधिकार है।
जेके प्राइवेट स्कूल यूनाइटेड फ्रंट ने 26 अगस्त, 2022 को जारी एक सरकारी अधिसूचना को चुनौती दी थी। जिसमें यह सुनिश्चित किय़ा गया था कि पहले चरण में, जम्मू-कश्मीर बोस द्वारा प्रकाशित पाठ्य पुस्तकों को आगामी शैक्षणिक सत्र से कक्षा छह से आठ तक के लिए केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के सभी निजी स्कूलों द्वारा लागू और निर्धारित किया जाए। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि बोर्ड को पाठ्यपुस्तकें निर्धारित करने की शक्ति प्राप्त है, लेकिन यह प्रावधान स्कूलों में अपने छात्रों के लिए बोर्ड द्वारा पाठ्य पुस्तकें निर्धारित करना अनिवार्य नहीं बनाता है।
प्रतिवादी बोर्ड ने अपने जवाब में कहा कि कक्षा एक से 12वीं तक पाठ्यचर्या, पाठ्यक्रम और पाठ्यपुस्तकों का विकास करना उनके अधिकार में आता है और 1975 के अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार, बोर्ड के पास प्रारंभिक शिक्षा और उच्च माध्यमिक शिक्षा नीति से संबंधित मामलों पर सरकार को सलाह देने की शक्ति है।
सरकारी वकील ने कहा कि स्कूल बोर्ड के पास जम्मू और श्रीनगर में अपने संभागीय कार्यालयों में एक अच्छी तरह से स्थापित पाठ्यक्रम विकास और अनुसंधान विंग है और इस कार्य को प्रभावी ढंग से देखने के लिए योग्य शिक्षक हैं।
बोर्ड ने प्रस्तुत किया कि यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 और राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा, 2005 में निर्धारित व्यापक उद्देश्यों के अनुसार कार्य करता है। सरकारी वकील ने तर्क दिया कि चुनौतीपूर्ण अधिसूचना जारी करते समय, कानून के आदेश का पालन किया गया था और उक्त अधिसूचना को सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी प्राप्त है। सरकारी वकील द्वारा प्रस्तुत किया गया था कि याचिकाकर्ता व्यावसायीकरण में रुचि रखता है जबकि प्रतिवादी बोर्ड का प्रयास विद्यार्थियों को लाभ पहुंचाना है ताकि उन्हें कम लागत वाली पाठ्यपुस्तकें प्रदान की जा सकें।
न्यायमूर्ति धर ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि बीओएसई के पास पाठ्य पुस्तकों को निर्धारित करने की वैधानिक शक्ति निहित है जिसमें इन पुस्तकों का प्रकाशन भी शामिल है। संबद्ध स्कूलों के लिए केवल उन्हीं पुस्तकों का उपयोग करना अनिवार्य बनाना उसके अधिकार क्षेत्र में होगा, जो बोर्ड द्वारा निर्धारित और प्रकाशित की गई हैं।...////...