28-Apr-2022 08:16 PM
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श्रीनगर, 28 अप्रैल (AGENCY) जम्मू कश्मीर के राजनीतिक दलों ने शब-ए-कद्र और जुमात-उल-विदा के दिन श्रीनगर की ऐतिहासिक जामिया मस्जिद को बंद रखने के सरकार के फैसले पर कड़ा विरोध जताया है।
नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने इसे “दुर्भाग्यपूर्ण” बताते हुए कहा कि एक तरफ अधिकारी कहते हैं कि कश्मीर घाटी में स्थिति सामान्य है.... फिर वे शब-ए-कद्र की रात और रमजान के आखिरी शुक्रवार जुमात-उल-विदा के दिन जामिया मस्जिद में नमाज की इजाजत क्यों नहीं देते।
श्री अब्दुल्ला ने गुरुवार को श्रीनगर में मीडिया के साथ बात करते हुए कहा, “कश्मीर घाटी में कृत्रिम रूप से साधारण अवस्था तैयार की गयी है। या तो वे लोगों को दबा रहे हैं, ताकि सामान्य हालात दिखाकर देश के अन्य हिस्सों में इसे बेचा जा सके।”
उन्होंने कहा कि कश्मीर में पर्यटकों के आने से हालात सामान्य नहीं होंगे। हालात तब सामान्य होंगे जब कश्मीर के लोग साधारण जीवन जियें और इसे सबूत के साथ साबित किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, “जामिया मस्जिद में जुमात-उल-विदा और शब-ए-कद्र की नमाज की अनुमति न देना हालात असामान्य होने का सबूत है। सरकार भले ही अपने शब्दों से नहीं स्वीकार रही, मगर अपने काम से साबित कर रही है कि कश्मीर में हालात सामान्य नहीं हैं।”
पीपुल्स अलायंस फॉर गुपकार डिक्लेरेशन (पीएजीडी) ने भी जामिया मस्जिद में शब-ए-कद्र की रात को और जुमात-उल-विदा की नमाज को अनुमति न देने के प्रशासन के फैसले की निंदा करते हुए उसे ‘बेहद निंदनीय’ बताया।
पीएजीडी ने एक बयान जारी कर कहा, “श्रीनगर की ऐतिहासिक जामिया मस्जिद में शब-ए-कद्र और जुमात-उल-विदा के पवित्र अवसर पर नमाज को अनुमति न देने का प्रशासन का फैसले बेहद निंदनीय है।”
बयान में कहा गया कि खबरों के अनुसार प्रशासन ने जामिया मस्जिद की इंतेजामिया से कहा है कि शब-ए-कद्र की रात और रमजान के आखिरी शुक्रवार जुमात-उल-विदा के दिन नमाज न पढ़ी जाए।
उन्होंने कहा कि यह फैसला हजारों लोगों को मस्जिद के अंदर सामूहिक रूप से नमाज पढ़ने से वंछित कर देगा।
पीएजीडी ने बयान में कहा, “यह लोगों के धार्मिक मामलों में प्रत्यक्ष दखलंदाजी है। यह निर्णय अस्वीकार्य और निंदनीय है।”
जेल में बंद मीरवाइज उमर फारूक की ऑल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस (एपीएचसी) ने श्रीनगर की जामिया मस्जिद को बंद रखने के प्रशासन के फैसले की कड़े शब्दों में निंदा की।
एपीएचसी ने एक बयान में कहा, “घाटी की केंद्रीय जामिया मस्जिद में जुमात-उल-विदा के अवसर पर सामूहिक नमाज न अदा करने देना अपमानजनक और धार्मिक व्यवहार के मूलभूत मानवाधिकार के खिलाफ है।...////...