30-Aug-2023 03:34 PM
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ईटानगर 30 सितंबर (संवाददाता) अरुणाचल प्रदेश के वरिष्ठ कांग्रेस नेता निनोंग एरिंग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के सामने पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ (पीआरसी) चीन की ओर से जारी किए अरुणाचल प्रदेश के मानचित्र के मुद्दे को उठाने की मांग की है।
श्री जिनपिंग दिल्ली में होने वाले जी20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए भारत आने वाले हैं। इससे पहले चीन ने एक नक्शा जारी किया है, जिसमें अरुणाचल प्रदेश को चीन का हिस्सा बताया है।
पासीघाट पश्चिम से विधायक एरिंग ने श्री मोदी को लिखे पत्र में कहा, “चीन की ओर से इस अप्रत्याशित, दुर्भाग्यपूर्ण, लेकिन जानबूझकर की गई घटना ने अरुणाचल प्रदेश के लोगों में गहरी नाराजगी पैदा कर दी है। यह सामान्य जानकारी है कि चीन ने पहले भी अप्रैल 2023 में 11 स्थानों, 2021 में 15 स्थानों और 2017 में छह स्थानों का नाम बदलकर अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा जताने की कोशिश की थी। चीन का मानक मानचित्र' की हालिया घटना उसकी नापाक योजनाओं की परिणति है और यह मामला विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है। इस घटना ने 1962 के भारत-चीन युद्ध की यादें ताजा कर दी है। '
विधायक ने कहा,“ 2020 में पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी में तथा दिसंबर 2022 में अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में भारत और चीन के सैनिकों के बीच झड़पें हुयी थीं। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उन्हें प्रधानमंत्री की विद्वता पर पूरा विश्वास है और भारतीय सेना देश की सीमाओं से लगे नियंत्रण रेखा (एलओसी) तथा वास्तविक नियंत्रण रखा की रक्षा कर सकती है। मैं आपका ध्यान उपरोक्त मानचित्र के जारी होने को भारत की संप्रभुता और अखंडता पर हमले के रूप में मानने की ओर आकर्षित करना चाहता हूं।”
उन्होंने कहा,“ अरुणाचल प्रदेश की पासीघाट पश्चिम सीट (जो भारत-तिब्बत सीमा पर स्थित है) का एक निर्वाचित प्रतिनिधि होने के नाते मैं आपसे 9-10 सितंबर को नयी दिल्ली आगामी जी20 शिखर सम्मेलन में राष्ट्रपति जिनपिंग के साथ चीन द्वारा अपने मानचित्र में एकतरफा बदलाव करने के इस मामले पर चर्चा करने की अपील करता हूं। इसके अतिरिक्त मैं इस बात पर जोर देना चाहूंगा कि पीआरसी की आक्रामकता से दुनिया को अवगत कराने के लिए प्रासंगिक राज्य संचालित मीडिया द्वारा इस मामले को विश्व स्तर पर उजागर किया जाना चाहिए और इसकी निंदा की जानी चाहिए। यह अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि पीआरसी द्वारा इसे 'चीनी दावों पर भारतीय पक्ष की मौन स्वीकृति' के रूप में प्रसारित किया जाएगा।...////...