25-Jul-2023 09:33 PM
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चेन्नई, 25 जुलाई (संवाददाता) मद्रास उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) तमिलनाडु के मंत्री वी. सेंथिलबालाजी से कब पूछताछ कर सकता है, इस बारे में फैसला सर्वोच्च न्यायालय लेगा। इसके साथ ही श्री सेंथिलबालाजी की पत्नी की ओर से दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका (एचसीपी) को बंद कर दिया।
उल्लेखनीय है कि श्री सेंथिलबाजी हवाला कारोबार के मामले में गिरफ्तार हुए थे और मौजूदा समय में न्यायिक हिरासत में हैं।
इस याचिका को जब न्यायमूर्ति जे निशा बानू और न्यायमूर्ति डी भरत चक्रवर्ती की खंडपीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया, तो उन्होंने एचसीपी को बंद कर दिया, क्योंकि शीर्ष अदालत इस मामले पर विचार कर रही है।
पीठ ने ईडी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और मंत्री का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील एन.आर .एलंगो की दलीलें सुनने के बाद श्री सेंथिलबालाजी की पत्नी मेगाला द्वारा दायर एचसीपी को बंद कर दिया।
सुनवाई के दौरान हालांकि खंडपीठ में शामिल न्यायाधीशों के मत अलग-अलग रहे। न्यायमूर्ति बानू ने मेगाला द्वारा दायर याचिका को अनुमति दी और मंत्री सेंथिलबालाज को रिहा करने की इच्छा व्यक्त की, जबकि न्यायमूर्ति चक्रवर्ती ने इसे खारिज कर दिया और कहा कि श्री सेंथिलबालाजी को कानून के अनुसार ईडी ने गिरफ्तार किया था और ईडी पूछताछ कर सकती है।
इसके बाद एचसीपी को तीसरे न्यायाधीश सी.वी.कार्तिकेयन के समक्ष सूचीबद्ध किया गया, जिन्होंने न्यायमूर्ति चक्रवर्ती के विचारों से सहमति व्यक्त की और कहा कि एचसीपी को खंडपीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने के लिए मुख्य न्यायाधीश के पास भेजा जा सकता है, ताकि यह तय किया जा सके कि ईडी किस तारीख से मंत्री को पूछताछ के लिए हिरासत में ले सकती है।
गौरतलब है कि 14 जून को गिरफ्तारी के बाद श्री सेंथिलबालाजी की बाईपास सर्जरी हुई थी। श्री सेंथिलबालाजी की इलाज की अवधि को हिरासत की अवधि से बाहर रखा जा सकता है।
आज जब वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मामले की सुनवाई हुई, तो न्यायमूर्ति निशा बानो ने कहा,“मैं चार जुलाई, 2023 के अपने फैसले पर कायम हूं। मुझे इस मामले में और कुछ नहीं कहना है।”
जब श्री मेहता ने कहा कि मामला इस खंडपीठ को केवल उस तारीख को तय करने के लिए भेजा गया था, जिस दिन से ईडी की हिरासत शुरू होगी, तो सुश्री बानू ने दोहराया कि उन्हें आगे कहने के लिए कुछ नहीं है। उन्होंने कहा,“चूंकि मामला शीर्ष न्यायालय के पास है, हम मामले को बंद कर देंगे।”
वहीं श्री एलांगो ने अपनी दलील में कहा कि याचिकाकर्ता ने आदेशों को चुनौती दी है और विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) शीर्ष अदालत के समक्ष लंबित है। यह कहते हुए कि ईडी ने भी फैसले के एक हिस्से को चुनौती दी है। उन्होंने कहा कि दोनों एसएलपी बुधवार को सुनवाई के लिए आ रही हैं। चूंकि आदेशों को दोनों पक्षों ने चुनौती दी है, इसलिए यह अदालत उच्चतम न्यायाल के आदेश देने तक इंतजार कर सकती है।
न्यायमूर्ति बानो ने हालाँकि कहा,“अब हमारे पास कहने के लिए कुछ नहीं है, क्योंकि मामला शीर्ष अदालत के पास है।” इसके बाद उन्होंने जब न्यायमूर्ति चक्रवर्ती की राय पूछी, तो उन्होंने सहमति जताते हुए कहा,“हां, हम मामले को बंद कर देंगे।...////...