15-Feb-2025 09:01 PM
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नयी दिल्ली,15 फरवरी (संवाददाता) वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार शाम को कहा कि मध्यस्थों ने अक्सर मेजबान देश के न्यायिक निर्णयों की अनदेखी की है।
श्रीमती सीतारमण ने नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी द्वारा अंतरराष्ट्रीय वाणिज्यिक और निवेश संधि मध्यस्थता पर प्रथम स्नातकोत्तर प्रमाणपत्र डिप्लोमा पाठ्यक्रम के शुभारंभ के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा मध्यस्थता के नतीजे पर पहुंचते समय, धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार जैसे अपराधों से संबंधित निष्कर्ष जो मेजबान देश में अदालत के माध्यम से स्थापित किए गए हैं के बीच निर्णय को स्वीकार करने के लिए विरोधाभासी स्थिति में डालते हैं। निवेश संधि को न केवल राष्ट्रों को बेहतर विनियामक शक्तियां प्रदान करनी चाहिए, बल्कि मध्यस्थता में विश्वास बहाल करने के लिए मध्यस्थों के लिए मार्गदर्शन के रूप में भी काम करना चाहिए।
उन्होंने कहा" मेरा दृढ़ विश्वास है कि निवेश संधियों के ढांचे में नियामक शक्तियों के संबंध में राष्ट्रीय हित , विवादों को सुलझाने में मध्यस्थों के लिए मजबूत मार्गदर्शन, राष्ट्रों के हितों और परिस्थितियों को शामिल किया जाना चाहिए।"
उन्होंने कहा कि दुनिया के क्यूआरटी को ऐसी स्थितियों के आयाम, निहितार्थ और संपार्श्विक परिणामों को समझना चाहिए और एक सुविचारित और सोची-समझी प्रतिक्रिया के लिए योजना बनाना शुरू करना चाहिए। एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) होना महत्वपूर्ण है जो स्पष्ट रूप से परिभाषित करती है कि क्या कार्रवाई की जानी चाहिए, कब और किसके द्वारा, साथ ही एक अच्छी तरह से संरचित संस्थागत व्यवस्था जो मध्यस्थता नोटिस प्राप्त होने के क्षण से प्रभावी हो जाती है।
इस अवसर पर न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना, न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा, अपील न्यायालय और सिंगापुर उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश वी.के. राजा, किंग्स काउंसल टोबी लैंडौ और यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर जी.एस. बाजपेयी उपस्थित थे।...////...