06-Jun-2024 01:52 PM
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श्रीनगर, 06 जून (संवाददाता) जम्मू-कश्मीर में कभी एक प्रमुख राजनीतिक ताकत रही पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) अब खुद को प्रदेश में सबसे निचले पायदान पर पाती है।
हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनाव में पार्टी न केवल एक भी सीट हासिल करने में कामयाब नहीं हो सकी। यहीं नहीं पार्टी कश्मीर के जिलों और पुंछ, राजौरी में 54 विधानसभा क्षेत्रों में से केवल पांच पर ही बढ़त हासिल कर पाई - जो अब अनंतनाग संसदीय क्षेत्र का भी हिस्सा है। प्रदेश से संबंधित संविधान के अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद हुआ पहला चुनाव पीडीपी के संभावित पुनरुद्धार के लिए महत्वपूर्ण था। पिछले पांच वर्षों में पार्टी ने कई प्रमुख नेताओं को पार्टी से बाहर होते देखा है, जिससे इसकी स्थिति काफी कमजोर हुई है।
पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती को अनंतनाग राजौरी लोकसभा सीट पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के दिग्गज गुज्जर नेता मियां अल्ताफ से लगभग तीन लाख वोटों से हार का सामना करना पड़ा। वह दक्षिण कश्मीर के केवल तीन विधानसभा क्षेत्रों में आगे चल रही थीं। यह एक ऐसा क्षेत्र है, जिसे कभी पार्टी का गढ़ माना जाता था।
चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, सुश्री महबूबा ने तीन विधानसभा क्षेत्रों- अनंतनाग, अनंतनाग पश्चिम, और श्रीगुफवारा-बिजबेहरा में बढ़त बनाई, लेकिन शेष क्षेत्रों में मियां अल्ताफ से पीछे रहीं। दक्षिण कश्मीर के तीन क्षेत्रों में नेशनल कॉन्फ्रेंस ने कांग्रेस के समर्थन के कारण स्पष्ट रूप से बढ़त बनाई और एक क्षेत्र में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट (माकपा) नेता वाई तारिगामी के कारण। गौरतलब है कि इस संसदीय क्षेत्र में कुल 18 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं।
एक राजनीतिक पर्यवेक्षक ने कहा, “सुश्री महबूबा हालांकि पिछले कुछ सालों से केंद्र की लूट की रणनीति की जोरदार आलोचना कर रही हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि लोगों ने अभी भी पीडीपी को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से गठबंधन करने के लिए माफ नहीं किया है।”
श्रीनगर लोकसभा क्षेत्र में, पीडीपी के युवा नेता वहीद पर्रा नेकां नेता आगा रूहुल्लाह से हार गए। वह केवल दो विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त हासिल करने में कामयाब रहे। श्री पर्रा ने 1,68,450 वोट प्राप्त किए। वह श्रीनगर संसदीय क्षेत्र के 18 विधानसभा क्षेत्रों में से पुलवामा और राजपोरा विधानसभा क्षेत्रों में आगे रहे। पीडीपी का प्रदर्शन विशेष रूप से उत्तरी कश्मीर की बारामूल्ला लोकसभा सीट पर निराशाजनक रहा, जहाँ पार्टी के उम्मीदवार मीर फैयाज ने अपनी जमानत जब्त करा ली। उन्हें केवल 27,488 वोट मिले।
राजनीतिक पर्यवेक्षक ने कहा, “चुनाव नतीजे पीडीपी के लिए एक बड़ा झटका है। यह कश्मीर के राजनीतिक परिदृश्य में अपनी स्थिति फिर से हासिल करने के पार्टी के संघर्ष को दर्शाता है। इन चुनावों का निश्चित रूप से आगामी विधानसभा चुनावों पर प्रभाव पड़ेगा।”
पीडीपी के वरिष्ठ नेता नईम अख्तर ( जो महबूबा के करीबी सहयोगी भी हैं) ने चुनाव परिणामों को पार्टी के लिए चिंताजनक बताया। उन्होंने कहा, “बेशक यह चिंताजनक है। हमें देखना होगा कि अपनी सद्भावना को वोटों में बदलने में कहां गलती हुई। एक कारण भाजपा सरकार द्वारा किए गए पलायन के बाद संगठनात्मक स्तर पर समन्वय की कमी है। इसे और कुछ अन्य मुद्दों को ठीक करना होगा।”
उल्लेखनीय है कि पीडीपी का गठन 1999 में महबूबा मुफ्ती के पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद ने कांग्रेस छोड़ने के बाद किया था। पार्टी ने 2003 में कांग्रेस के साथ और बाद में 2015 में भारतीय जनता पार्टी के साथ सरकार बनाई। अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने के बाद, कई संस्थापक सदस्य पीडीपी छोड़ चुके हैं।...////...