14-Jun-2023 09:39 PM
4813
नयी दिल्ली 14 जून (संवाददाता) नीति आयोग के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी और भारत के जी20 शेरपा अमिताभ कांत ने बुधवार को कहा कि भारत की युवा आबादी देश की बड़ी सम्पत्ति है तथा भारत के प्रतिभाशाली युवा नवाचार एवं स्टार्टअप उद्यमों के माध्यम से देश में बड़ा परिवर्तन ला रहे हैं।
दिल्ली में नेत्र चिकित्सा की विशिष्ट सुविधा वाले श्रॉफ सेन्टर फॉर ओकुलर रिजनरेशन का उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए श्री कांत ने कहा,“जब मैं विद्यार्थी था उस समय अच्छे करियर के लिए केवल एकमात्र सरकारी नौकरी की ओर देखा जाता था। आज भारत के युवक उद्यमिता और नवाचार के क्षेत्र में अपनी जगह बना रहे हैं।” इस केन्द्र की स्थापना डॉ श्रॉफ चैरिटी आई हॉस्पिटल ने बेंगलुरु के पैंडोरम टेक्नॉलॉजी संस्थान के साथ मिलकर किया है।
उन्होंने कहा कि 2014 में भारत में चार सौ के आसपास स्टार्टअप इकाईयां थीं। आज इनकी संख्या 98 हजार से ऊपर हो गयी है। देश में यूनीकॉर्न (एक अरब डॉलर से अधिक की बाजार हैसियत वाली स्टार्टअप कंपनी) खड़ी हो चुकी हैं। श्री कांत ने कहा कि नवाचार का मतलब ही होता है समाज में परिवर्तन लाने वाली चीज प्रस्तुत करना।
डॉ श्रॉफ चैरिटी आई हॉस्पिटल के निदेशक डॉ वीरेंद्र संगवान ने कहा, ‘‘वर्तमान में कॉर्निया केवल एक स्थिति में ट्रांसप्लांट हो सकता है, और वह तब जब कोई व्यक्ति अपना नेत्रदान करे, यानि वो लोग, जो अपनी मृत्यु के बाद नेत्रदान करने का संकल्प लेते हैं। पैंडोरम टेक्नॉलॉजी के साथ हमारी साझेदारी का उद्देश्य इस चुनौती को हल करना और पुनःपरिवर्तन चिकित्सा के क्षेत्र में नवप्रवर्तित चिकित्सा का विकास करना है, जिसमें मानव टिश्यू की जगह कृत्रिम कोशिकाएं लगाई जा सकें।’’
डॉ श्रॉफ चैरिटी आई हॉस्पिटल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं कार्यकारी निदेशक डॉ. उमंग माथुर ने कहा, ‘‘इस अत्याधुनिक केंद्र में ऐसी एडवांस्ड रिजनरेटिव थेरेपी को लेकर नेत्रहीनों के जीवन में एक नयी उम्मीद जगी है और स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में परिवर्तन ला सकेंगे।’’
इस केन्द्र में कॉर्निया संबंधी दृष्टिहीनता से पीड़ित मरीजों को कोशिकाओं को पुर्नजीवित करने वाली प्रौद्योगिकी के जरिए ठीक किया जाएगा।
संस्थान के एक विवरण पत्र में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के अनुसार, दुनिया की चार प्रतिशत आबादी कॉर्निया की खराबी के कारण दृष्टिहीनता से प्रभावित हैं। हर साल इस तरह के 15 लाख से 20 लाख नए मरीज बढ़ रहे हैं। भारत में दृष्टिहीन लोगों में बाईलेटरल (12 लाख) और यूनिलेटरल (50 से 60 लाख) कॉर्नियल दृष्टिहीनता से बाधित हैं और हर साल ऐसे 30 हजार नए मामले आ रहे हैं।
आई बैंक एसोसिएशन ऑफ इंडिया के मुताबिक यहाँ प्रतिवर्ष एक लाख से ज्यादा कॉर्नियल ट्रांसप्लांट किए जाने की जरूरत है, लेकिन केवल 25 हजार ही पा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि इस तरह विकसित ‘बायोइंजीनियर्ड कॉर्निया’ टिश्यू पर आधारित एग्ज़ोसोम्स और टिश्यू-मिमेटिक बायोमटेरियल द्वारा बनाए जाते हैं ताकि स्वस्थ और कार्यशील कॉर्निया का फिर से विकास हो सके। यह कॉर्निया में लिक्विड ड्रॉप्स के रूप में डाला जाता है और प्रकाश की किरणों का उपयोग कर 10 मिनट से भी कम समय में ठोस रूप ले लेता है और कॉर्निया में जुड़ जाता है। इस ठोस मैट्रिक्स में बायोपॉलिमर एग्ज़ोसोम्स के सतत उत्सर्जन में मदद करता है, जो अल्सरेशन, सूजन जैसी स्थितियों को रोकता है,फाइब्रोसिस को पलट देता है, और नसों का पुनः निर्माण कर कॉर्निया की मोटाई को ठीक करता है।...////...