07-Jul-2023 08:05 PM
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नयी दिल्ली, 07 जुलाई (संवाददाता) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को स्पाइसजेट की उस गुहार को ठुकरा दी, जिसमें काल एयरवेज और कलानिधि मारन को मध्यस्थता के माध्यम से तय 380 करोड़ रुपये के एक हिस्से के तौर पर 75 करोड़ रुपये का भुगतान करने के लिए एक बार फिर समय बढ़ाने की मांग की गई थी।
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा की पीठ ने मांग को नकारते हुए कहा कि स्पाइसजेट लिमिटेड का यह आवेदन तय धनराशि का भुगतान न करने की देरी की रणनीति के अलावा कुछ भी नहीं है।
पीठ ने पाया कि स्पाइसजेट अदालतों के आदेशों का पालन नहीं कर रही है। उसके द्वारा समय विस्तार की मांग करने वाले आवेदन में दी गई दलीलें अनुचित हैं। इस आवेदन का एकमात्र उद्देश्य मध्यस्थ राशि के भुगतान करने में देरी करना और अदालती आदेशों के बावजूद तय राशि के भुगतान से बचना है।
पीठ ने स्पाइसजेट को फटकार लगाई और चेतावनी देते हुए कहा, “यदि आदेशों का अनुपालन नहीं किया जाता है तो इसके परिणाम अवश्य भुगतने होंगे। व्यावसायिक नैतिकता सुनिश्चित करने का यही एकमात्र तरीका है।”
शीर्ष अदालत ने इस साल फरवरी में स्पाइसजेट को आदेश दिया था कि वह 380 करोड़ रुपए में से 75 करोड़ रुपए का भुगतान मई तक कर दे। आदेश के अनुसार 03 महीने की समय सीमा 13 मई 2023 को समाप्त हो गई थी, लेकिन तय तारीख तक स्पाइसजेट कंपनी ने अदालत के आदेश का पालन नहीं किया था।
शीर्ष अदालत के आदेश का पालन करने की जगह उसके समक्ष स्पाइसजेट द्वारा दो और महीनों के लिए समय बढ़ाने की मांग करते हुए आवेदन किया गया था।...////...