22-Aug-2023 09:06 PM
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उदयपुर 22 अगस्त (संवाददाता) लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा है कि वर्तमान चुनौतियों के मद्देनजर एवं देश को विकास और समृद्धि के पथ पर ले जाने के लिए समय की प्रासंगिकता और आवश्यकताओं के अनुरूप अप्रचलित कानूनों के स्थान पर नए कानून लाये जाने की ज़रूरत है।
श्री बिरला नौवें राष्ट्रमंडल संसदीय संघ (सीपीए) भारत क्षेत्र सम्मेलन के समापन समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि हम कानूनों में आवश्यक परिवर्तन करके, पारदर्शी और जवाबदेह शासन व्यवस्था के साथ लोगों के जीवन में सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन करते हुए विकसित भारत की ओर आगे बढ़ेंगे। उन्होंने कहा कि यह दो दिवसीय सम्मेलन सफल रहा और सम्मेलन में हुए विचार-विमर्श से विधानमंडलों के समक्ष प्रस्तुत वर्तमान और भावी चुनौतियों के समाधान में बहुत मदद मिलेगी ।
श्री बिरला ने कहा कि बदलते परिप्रेक्ष्य में हमें अपनी संस्थाओं के अंदर विज्ञान और प्रौद्योगिकी का प्रभावी ढंग से उपयोग करना चाहिए ताकि हमारी संस्थाएं प्रभावी परिणाम ला सकें। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रमुख वैश्विक चुनौतियों का समाधान भारत से निकले। उन्होंने कहा कि विधानमंडल वर्तमान और भावी चुनौतियों से निपटने के लिए गहन विचार और चर्चा का मंच हैं।
उन्होंने विधानमंडलों की गरिमा और मर्यादा में गिरावट पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि विधानमंडलों की गरिमा इस बात पर निर्भर करती है कि लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए विधि निर्माता सदन में कैसा व्यवहार करते हैं। इस संबंध में उन्होंने वर्तमान और भविष्य की चुनौतियों का समाधान खोजने में विधायकों की भूमिका पर प्रकाश डाला। श्री बिरला ने कहा कि जन प्रतिनिधि अपने क्षेत्रों और राज्यों के महत्वपूर्ण मुद्दों के समाधान के लिए सकारात्मक पहल करके और भविष्य के लिए एक व्यापक कार्य योजना विकसित करके 2047 तक भारत को समृद्ध और विकसित बनाने में योगदान दे सकते हैं।
श्री बिरला ने यह कहा कि हमारे विधानमंडलों की गरिमा और प्रतिष्ठा तभी बढ़ेगी जब जन प्रतिनिधि देश और समाज के महत्वपूर्ण मुद्दों पर सार्थक चर्चा और संवाद करेंगे। जन प्रतिनिधियों की जिम्मेदारी है कि वे लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं को प्रतिबिंबित करें और उनकी समस्याओं को सरकार के समक्ष लाकर उनका समाधान करें और सदन में व्यवधान का सहारा लेने के बजाय, उन्हें लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए विधायिका को एक मंच बनाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि डिजिटल तकनीक का उपयोग करने से उनकी प्रभावशीलता में सुधार होगा और उनका काम आसान हो जाएगा।
सम्मेलन के विषय के बारे में बात करते हुए श्री बिरला ने इस बात पर प्रकाश डाला कि डिजिटल माध्यमों से विधानमंडलों को जनता से जोड़कर हम अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही के द्वारा सुशासन सुनिश्चित कर सकते हैं।
श्री बिरला ने कहा भारत प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में कई विकसित देशों से आगे है और डिजिटल प्रौद्योगिकी के माध्यम से हम भ्रष्टाचार में उल्लेखनीय कमी लाकर सुशासन लाये हैं। श्री बिरला ने पीठासीन अधिकारियों से आग्रह किया कि ‘एक राष्ट्र एक विधायी मंच’ को लागू किया जाए और विधायकों का क्षमता निर्माण भी किया जाए, जिससे न केवल विधानमंडलों की प्रभावशीलता और प्रभावकारिता में सुधार होगा बल्कि विधानमंडलों और जनता के बीच की दूरी भी कम होगी।
उन्होंने विधायकों से विधायी प्रभावशीलता में सुधार के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करने का आग्रह किया। उन्होंने पीठासीन अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने का भी आग्रह किया कि कानून पारित होने के बाद नियम पहले बनाए जाएं ताकि कार्यान्वयन तेजी से हो सके और कानून निर्माताओं को विधायिका में पारित कानूनों के बारे में लोगों को शिक्षित करने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए क्योंकि कानूनों के बारे में सार्वजनिक जागरूकता इसके प्रभावी कार्यान्वयन की कुंजी है।
श्री बिरला ने बताया कि नौवें सीपीए सम्मेलन में विधायी निकायों के बीच बेहतर संवाद और समन्वय के लिए सीपीए इंडिया रीजन जोन को नौ नए क्षेत्रों में पुनर्गठित करने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि सीपीए इंडिया रीजन के पुनर्गठन से ज़ोन के भीतर और बाहर जन प्रतिनिधियों की व्यापक भागीदारी से सीपीए इंडिया क्षेत्र की गतिविधियों में वृद्धि होगी और लोकतांत्रिक भावना को बढ़ावा मिलेगा।...////...