18-Sep-2021 03:00 PM
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इंदौर। इंदौर नगर निगम ने होलकर राज से चले आ रहे नियम कायदों को ताक पर रख दिया है। इससे उसकी कमाई के कई रास्ते बंद हो गए हैं। शहर का बंटाढार हो रहा है वह अलग से लेकिन नगर निगम में बैठे अफसरों को कमाई की चिंता नहीं है।
इंदौर में किसी भी जगह मकान बनाया जाता है तो गिट्टी, पत्थर, मुरम, मलबा सरिये सड़क पर रखे जाते हैं। होलकर शासन काल में सड़क पर बिल्डिंग निर्माण मटेरियल रखने का शुल्क याने पटरी किराया लिया जाता था लेकिन अब नगर निगम न तो किसी बिल्डिंग बनने वाली जगह जाता है न ही इंच टेप लेकर नपती करता है कि कितने वर्गफुट में बिल्डिंग मटेरियल रखा है। पूरे इंदौर शहर की हालत देखें तो एक दो नहीं सैकड़ों हजारों जगह बिल्डिंग मटेरियल पसरा पड़ा है। मकान बनाने वालों को छोड़ भी दें तो बिल्डिंग मटेरियल बेचने वालों ने भी सड़क के किनारे पर ईंट, फर्शी, रेती, बालू रेती, गिट्टी चूरी रखकर कब्जा किया है। इन लोगों से भी एक रूपया वसूल नहीं किया जाता है। सुभाष मार्ग पर बड़वाली चैकी हनुमान मंदिर से लेकर स्मृति टाॅकिज व इमली बाजार सुभाष मार्ग चैराहे तक बिल्डिंग मटेरियल व्यापारियो ंके कब्जे देखे जा सकते है।। छोटा बांगड़दा रोड पर इंदौर वायर से लेकर सुपर काॅरिडारे तक सड़क के दोनों किनारे को बिल्डिंग मटेरियल बेचने वाले मुफ्त में इस्तेमाल कर रहे हैं। शहर के फूटी कोठी रोड पर भी सड़क किनारे बिल्डिंग मटेरियल बेचने वालों के कब्जे देखे जा सकते हैं। नगर निगम प्रशासन ने मानो ऐसे लोगों की सड़क वापरने की खुली छूट दे दी है।
// जूना पीठा में पुराना बिल्डिंग मटेरियल //
जूना पीठा में साठ के दशक में भयावह आग लगी थी। यहां लकड़ी पीठा था इस वजह से आग लगी थी। आग की उस घटना के बाद गुरूनानक टिंबर मार्केट की स्थापना कर यहां के लकड़ी पीठे हटा दिए गए थे। आग में दर्जनों लोग ऊपर की मंजिल के पतरों पर चढ़कर वहीं जलकर राख हो गए थे। उस घटना को आग की ऐतिहासिक घटना माना जाता है लेकिन अब उसे भुला दिया गया है। जूना पीठा में अब लकड़ी के पीठे तो नहीं हैं लेकिन पराने खिड़की दरवाजे, बांस बल्लियों से लेकर लकड़ी के दूसरे मटेरियल यहां मकानों से लगकर सड़क पर रखे व बेचे खरीदे जाते हैं। भगवान न करे फिर से अगर कोई आग लगने का हादसा हो गया तो कितने लोगों की जान जाएगी यह सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। साठ के दशक में प्रति किलोमीटर आबादी कम थी अब तो जूना पीठा की आबादी सघन है। साठ के दशक की बजाय अब आबादी 20 गुना हो गई है।
फायर ब्रिगेड, जिला प्रशासन से लेकर नगर निगम प्रशासन जूना पीठा में सड़क पर कब्जों की तरफ से आंखें मूंदे बैठा है। इन लकड़ी का सामान बेचने वालो ंको न हटाया जाता है न ही पटरी टैक्स लिया जाता है।
Municipal Corporation..///..why-indore-municipal-corporation-is-deprived-of-earning-crores-of-rupees-318087