14-Jul-2023 07:01 PM
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नयी दिल्ली, 14 जुलाई (संवाददाता) गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को कहा कि कृषि, पशुपालन और मत्स्यपालन-आधारित आर्थिक गतिविधियां भारतीय अर्थव्यवस्था की ताकत हैं, लेकिन कभी इनके बारे में देश में चर्चा नहीं होती।
शाह ने सहकारिता से जुड़े एक कार्यक्रम में यहां कहा कि आज ये तीनों सेक्टर मिलकर भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 18 प्रतिशत हिस्सा बनाते हैं। एक प्रकार से कृषि, पशुपालन और मत्स्य पालन देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं और इन्हें मज़बूत करने का मतलब देश की अर्थव्यवस्था को मज़बूत करना है। उन्होंने कहा कि अगर मैन्युफैक्चरिंग द्वारा जीडीपी बढ़ती है तो रोज़ग़ार के आंकड़े इतने नहीं बढ़ते, लेकिन अगर कोऑपरेटिव के माध्यम से कृषि, पशुपालन और मत्स्यपालन को मज़बूत करते हैं तो जीडीपी के साथ-साथ रोज़ग़ार के अवसर भी बढ़ेंगे।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि भारत में लगभग 65 प्रतिशत लोग कृषि और इससे संबद्ध गतिविधियों के साथ जुड़े हैं, लगभग 55 प्रतिशत कार्यबल कृषि और इससे संबद्ध गतिविधियों में लगा है। उन्होंने कहा कि परोक्ष रूप से देखें, तो इन 65 प्रतिशत लोगों और 55 प्रतिशत कार्यबल के आधार पर ग्रामीण क्षेत्रों में बाकी सभी सेवाएं भी एक प्रकार से कृषि पर ही निर्भर हैं। देश के 86 प्रतिशत किसान छोटे और सीमांत किसान हैं, जिनके पास एक हेक्टेयर से कम भूमि है। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में सिर्फ भारत एकमात्र ऐसा देश है, जिसने छोटे किसानों को मज़दूर नहीं बनने दिया और वे अपनी भूमि के मालिक हैं। उन्होंने कहा कि कृषि को आधुनिक बनाने, कृषि उपज के अच्छे दाम पाने और कृषि को फायदेमंद बनाने के लिए हमें परंपरागत तरीकों से बाहर निकलकर आज के समयानुकूल तरीकों को अपनाना होगा और ये पैक्स इसी क्रम में एक नयी शुरूआत हैं।
शाह ने कहा कि सरकार और कोऑपरेटिव सेक्टर की ज़िम्मेदारी है कि कृषि के साथ जुड़े हुए सभी लोगों का जीवन उतना ही सुविधाजनक हो जितना सेवा क्षेत्र से जुड़े लोगों का है। उन्होंने कहा कि किसान उत्पादक संगठन एफ पी ओ की कल्पना 2003 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के समय योगेन्द्र अलग समिति ने की थी। आज 11,770 एफ पी ओ देश में काम कर रहे हैं और इनके माध्यम से देश के लाखों किसान अपनी आय बढ़ाने में सफल हुए हैं। उन्होंने कहा कि बजट में 10,000 एफ पी ओ स्थापित करने की घोषणा की गई और वर्ष 2027 तक इनकी स्थापना करने का लक्ष्य है। शाह ने कहा कि इनपुट से लेकर आउटपुट तक, मैन्युफैक्चरिंग से लेकर प्रोसेसिंग और ग्रेडिंग तक और पैकेजिंग से लेकर मार्केटिंग और भंडारण तक पूरी व्यवस्था, यानी कृषि उत्पादन से लेकर मार्केटिंग तक की पूरी व्यवस्था एफ पी ओ के तहत हो जाए।
गृह एवं सहकारिता मंत्री ने देश के सभी एफ पी ओ का आह्वान किया कि वे जिस स्वरुप में हैं उसी स्वरूप में काम करते रहें लेकिन अपने साथ पैक्स को भी जोड़ते रहें। सरकार ने अब तक 127 करोड़ रुपए से ज्यादा ऋण एफ पी ओ को दिया है जो 6900 करोड़ रुपए के अतिरिक्त है। आदिवासी जिलों में भी 922 एफ पी ओ बने हैं जो वन उपज के लिए काम करते हैं। उन्होंने कहा कि आज गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और पंजाब ने इस क्षेत्र में बहुत अच्छा काम किया है।
शाह ने कहा, “ हमें फिर से युवाओं में इस बात को प्रस्थापित करना है कि कृषि फायदे का व्यापार है, इसे आधुनिक तरीके से करने की जरूरत है और मार्केटिंग की व्यवस्था करनी है। ”
उन्होंने कहा कि अगर यह आत्मविश्वास देश के 12 करोड़ किसानों में भर देते हैं तो कृषि उपज तो बढ़ेगी ही, जीडीपी में हमारा योगदान भी बढ़ेगा और साथ ही यह 12 करोड किसान आत्मनिर्भर बनेंगे और देश को भी आत्मनिर्भर बनाएंगे।
केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि कृषि क्षेत्र में बजट आवंटन में लगभग 5.6 गुना वृद्धि हुई। उन्होंने कहा कि वर्ष 2013-14 में 21000 करोड रुपए का बजट था, जो वर्ष 2023-24 में 1.15 लाख करोड रुपए का हो गया है। उन्होंने कहा कि पहले संयुक्त बजट 21000 करोड़ रुपए था, आज 4 विभागों में से सिर्फ कृषि मंत्रालय का बजट 1.15 लाख करोड़ रुपए हो गया है ।
शाह ने कहा कि 2013-14 में देश में 26 करोड़ टन खाद्यान्न उत्पादन हुआ था और 2022-23 में यह 32 करोड़ टन हुआ है। उन्होंने कहा कि कुछ किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य की बात करना चाहते हैं, इस पर कहीं पर भी चर्चा करने के लिए सरकार तैयार है। सरकार ने किसानों के कल्याण के लिए कितना काम किया है। इसके साथ ही जैविक खेती को बढ़ावा दिया, सिंचाई में 72 लाख हेक्टेयर का माइक्रो इरिगेशन कर 60 लाख किसानों को कवर किया,सूक्ष्म सिंचाई कोष बनाया,राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन बनाया,24 हजार करोड़ का कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर फंड बनाया, कृषि यंत्रीकरण का कोष बनाया और ई-नाम के माध्यम से लगभग 1260 मंडियों को जोड़ने का काम भी सरकार ने किया है।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार के कार्यकाल में कृषि क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन हुआ है और अब उसका फायदा किसान तक पहुंचे इसके लिए सहकारिता मंत्रालय बनाया गया है। उन्होंने कहा कि कोऑपरेटिव के मंत्र के अनुसार जो पसीना बहाता है, मुनाफा उसी के पास जाता है और यह काम सहकारिता मंत्रालय ने किया है।
श्री अमित शाह ने कहा कि सहकारिता क्षेत्र में मोदी सरकार ने कई काम किए हैं। पैक्स के मॉडल बायलॉज बनाए जिन्हें 26 राज्यों ने स्वीकार कर लिया है। अब यह डेयरी भी बन पाएंगे, मछुआरा समिति भी बन पाएंगे, पेट्रोल पंप चला पाएंगे, गैस की एजेंसी भी चला सकेंगे, सस्ती दवाई की दुकान भी चला सकेंगे, सस्ते अनाज की दुकान भी चला सकेंगे, भंडारण का भी काम करेंगे, गांव की हर घर जल की समिति में जल व्यवस्थापन में भी कमर्शियल काम कर सकेंगे।...////...