07-Aug-2025 10:20 PM
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नयी दिल्ली, 07 अगस्त (संवाददाता) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने व्यापार में भारत के खिलाफ अतिरिक्त आयात शुल्क लगाने के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के फैसले के खिलाफ गुरुवार को एक कड़ा और स्पष्ट संदेश देते हुए हुए कहा कि भारत देश के किसानों, पशुपालकों और मछुआरों जैसे कमजोर वर्ग के लोगों के हितों के साथ कभी कोई समझौता नहीं करेगा और वह स्वयं इसके लिए बड़ी से बड़ी कीमत चुकाने को तैयार हैं।
श्री मोदी प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक भारत रत्न स्वर्गीय डॉ एम एएस स्वामिनाथन के जन्म शताब्दी समारोह के उपलक्ष्य में राजधानी में कृषि विज्ञान पर एक अंतराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। श्री मोदी ने कहा, ‘ हमारे लिए अपने किसानों का हित सर्वोच्च प्राथमिकता है। भारत अपने किसानों के, पशुपालकों के, और मछुआरे भाई-बहनों के हितों के साथ कभी भी समझौता नहीं करेगा।” उन्होंने इसी संदर्भ में कहा, ..और मैं जानता हूं व्यक्तिगत रूप से मुझे बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी, लेकिन मैं इसके लिए तैयार हूं।”
उन्होंने कहा कि सरकार देश के किसानों , मछुआरों , पशुपालकों की पूरी मदद के लिए पूरी तरह तैयार है और किसानों की आय बढ़ाने, खेती की लागत कम करने, किसानों की आय के नए स्रोत बनाने, इन लक्ष्यों पर सरकार लगातार काम कर रही हैं।
उन्होंने कहा , ‘ डॉ .स्वामीनाथन ने हमें सिखाया था कि खेती सिर्फ फसल की नहीं होती, खेती लोगों की जिंदगी होती है। खेत से जुड़े हर इंसान की गरिमा, हर समुदाय की खुशहाली और प्रकृति की सुरक्षा, यही हमारी सरकार की कृषि नीति की ताकत है। हमें विज्ञान और समाज को एक धागे में जोड़ना है, छोटे किसान के हितों को सर्वोपरि रखना है, और खेतों में काम करने वाली महिलाओं को सशक्त करना है, सशक्त करना है।’
श्री मोदी ने इस अवसर पर खाद्यान्न को जीवन तथा विश्व शांति का आधार बताया। उन्होंने भारतीय कृषि वैज्ञानिकों से पोषण सुरक्षा के लिए काम करने तथा विकसित भारत के लक्ष्य को हासिल करने में हर संभव योगदान करने का आह्वान किया। श्री मोदी ने कहा कि वैज्ञानिकों को अब देश की पोषण सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन से कृषि के समक्ष उत्पन्न चुनौतियों और आनाज उत्पादन बढ़ाने के साथ धरती की रक्षा के उपायों पर विशेष ध्यान देना है।
श्री मोदी ने कहा, ‘ डॉ. स्वामीनाथन से प्रेरणा लेते हुए, अब देश के वैज्ञानिकों के पास एक बार फिर इतिहास रचने का मौका है। पिछली पीढ़ी के वैज्ञानिकों ने खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की। अब पोषण सुरक्षा पर फोकस करने की आवश्यकता है। हमें बायो-फोर्टिफाइड और न्यूट्रीशन से भरपूर फसलों को व्यापक स्तर पर बढ़ाना होगा, ताकि लोगों का स्वास्थ्य बेहतर हो। रसायनों का उपयोग कम हो, नैचुरल फार्मिंग (प्राकृतिक खेती) को बढ़ावा मिले, इसके लिए हमें अधिक तत्परता दिखानी होगी।”
श्री मोदी ने कहा कि हमें जलवायु परिवर्तन से प्रभावित न होने वाली फसलों की ज्यादा से ज्यादा किस्मों को विकसित करना होगा। सूखा और ऊष्णाता में भी फलने फूलने में समर्थ और में भी तैयार हो सकने वाली फसलों पर ध्यान देना होगा। फसल चक्र कैसे बदला जाए, किस मिट्टी के लिए क्या उपयुक्त है, उस पर अधिक अनुसंधान होने चाहिए। इसके साथ ही, हमें सस्ते मृदा परीक्षण उपायों और भू ऊर्वरता प्रबंधन के तरीके, उसको भी विकसित करने की आवश्यकता है।
उन्होंने वैज्ञानिकों और तकनीशयनों से सौर ऊर्जा चालित सूक्ष्म सिंचाई प्रणालियों के विकास की दिशा में और ज्यादा काम करने । ड्रिप सिस्टम और प्रिसिशन इरिगेशन ज्यादा व्यापक और असरदार बनाने , कृषि क्षेत्र के लिए सैटेलाइट डेटा, कृत्रिम मेधा (एआई) और मशीन लर्निंग को जोड़ने की संभावनाओं को तलाशने का भी आह्वान किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज बड़ी संख्या में युवा खेती की समस्याओं के नये-नये समाधान निकालने में जुटे हैं। अनुभवी वैज्ञानिक उन्हें मार्गनिर्देशन दें तो उनके बनाए प्रोडक्ट ज्यादा प्रभावशाली होंगे, और अधिक उपयोगी होंगे।
उन्होंने कहा, ‘ हमारी सरकार ने किसानों की ताकत को देश की प्रगति का आधार माना है। इसलिए बीते वर्षों में जो नीतियां बनीं, उनमें सिर्फ मदद नहीं थी, किसानों में भरोसा बढ़ाने का प्रयास भी था।” उन्होंने कहा कि पीएम किसान सम्मान निधि से छोटे किसानों को आत्मबल दिया है। पीएम फसल बीमा योजना ने किसानों को सुरक्षा दी है। पीएम कृषि सिंचाई योजना से सिंचाई सुविधाओं का विस्तार हुआ। 10 हजार एफपीओ के निर्माण ने छोटे किसानों की संगठित शक्ति बढ़ाई है, सहकारिता और स्वयं सहायता समूहों को आर्थिक मदद ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई गति दी है। आनलाइन मंडी व्यवस्था ई-नाम से किसानों को अपनी उपज बेचने की आसानी हुई है। पीएम किसान संपदा योजना ने नई फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स, भंडारण के अभियान को भी गति दी है।...////...